दिल ने इजाजत दी नही और हमें मंजूर भी न था फिर भी उसके इज़हार स्वीकार किया प्यार की भाषा समझते हो तो इंकार कैसे होगा वो भी तब जब उसे पहले झेल चुके हो किसी के प्यार में one sided रह चुके हो वो ख़्वाब वो खुशी वो तड़प और बिछरण सब सह चुके हो वो दर्द मेरे लिए कोई सहे कैसे देख सकते हो ना प्यार भला उसे बात तो कर सकते हो ना कहकर किसी का दिल कैसे तोड़ सकते हो दिल ने इजाजत दी नही और हमें मंजूर भी न था फिर भी उसके इजहार को स्वीकार किया जो झेले हैं हम वो न झेले इसलिए उसके साझे बने रहे। ©Arun kr. #together #together