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Arun kr.

कुछ नहीं बस शब्दों से खेल लेता हूँ।

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Arun kr.

White कोई ढूंढे प्रशंसक
मैं ढूंढू आलोचक
द्वंद हो विचारों का
तर्कों का बाण चले
मेरी अज्ञानता उजागर हो
हो गर उसका तर्क प्रबुद्ध
वो मुझ में भी धारण हो
द्वंद हो विचारों का
वाद-प्रतिवाद फिर संवाद का दर्शन हो
विचारों का विकास पथ में एक-दूजे का समर्पण हो
द्वंद का अर्थ सीख हो ,बैर नही
मिल जाये कोई एक सा फिर क्या साझा कर पाओगें ?

©Arun kr.
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Arun kr.

White सफ़र दूर का था
मंजिल ' एक   होना '
किसे पता था
लिखा है  ' बिछड़ जाना '
पास से दूर होना
फिर एक दूजे को खोना
किस्मत में नही लिखा था एक होना 
कंही भी , कभी भी प्यार जताना
फिर दूरियों की वजह से भूल जाना
नामंजूर कोई और
पर किसी और का हो जाना
याद तो है पर याद न कर पाना
प्यार करने वालों से जलता है सारा जमाना।

©Arun kr.
  #love_shayari
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Arun kr.

White यादों के तीलियाँ जलती रहती है
बात अलग है कि हम उसे दीपक नही बनाते
जो बनते हैं अनजान से जान 
फिर वो अनजान नही रहते
बात अलग है कि हम उनसे बात नही करते
साथ की यारी
अकेलेपन पर भारी पड़ता है
बात अलग है कि कोई किसी को याद नही करता है
ऐसा  भी नही की कोई किसी को याद नही आता है
बात  तो ये है कि कोई किसी से बेवजह बात नही करना चाहता है ।

©Arun kr. #Sad_shayri
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Arun kr.

वैचारिक जंग से हर दिन टकराता  हूं
अंदर- बाहर, अपना- पराया सब से उलझता हूं
पढ़ा हूं ,जाना हूं ,हकीकत समझता हूं
भीड़ में भी सच कहने की ताकत रखता हूं 
हां मैं हर दिन लोंगो से उलझता हूं
वर्षो की विरासत पर  प्रश्न चिंह लगता हूं
धार्मिकता की मानसिक गुलामी , आडंबरवाद ,ब्राह्मणवाद , पतृसत्तावाद और वंशवाद को धिक्कारता हूं
हां मैं मानने से पहले जानना चाहता हूं
जोकि बनी बनाई व्यवस्था सच बताने से कतराता है
वह नही चाहता कि उसका एकाधिकार छीना जाए
जो हुआ सो  हुआ आगे के लिए सकारात्मक बदलाव किया जाए
लोगों को भेड़ चाल आसान जान पड़ता हैं
हकीकत की राह उसे मुश्किल नजर आता हैं
मैं मुश्किल में पड़ वैचारिक बदलाव चाहता हूं
लोग हकीकत को समझे मैं वो व्यवहार देखना चाहता हूं ।

©Arun kr.
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Arun kr.

शुक्रिया मेरे दोस्त
 शुक्रिया  इलाहाबाद
दुआ है रहो  सदा आबाद
तुम्हारा ये प्यार ,अपनापन
हर घड़ी साथ  खड़ा होना
अपनो की कमी कभी न खलना
वक्त बुरा हो तो हौसला बढ़ाना
शने -शने कुछ नया कर जाना
सीखा जीने का एक नया सलिका
मेरा सबका प्रिय हो जाना
सबके चेहरे पर हँसी ले आना
अरुण कंही दिख जाए तो अपने पास बुलाना
फिर उसका पानी  पी अपना प्यास बुझाना
कभी बंगाली  कभी बिहारी
कभी चार राज्यों की दावेदारी का तगमा लगाना
कोई बात हो तो हमें बताना 
किसी से कभी न घबराना 
मेरा शांत स्वभाव चंचल हो जाना
जो जंहा जैसा मिला,उसी ढंग में ढल जाना
तुम सब का प्रिय हो जाना
ये तुम्हारा अपनापन और प्यार है
जिससे मेरा गहरा लगाव है
अंत में एक बात
मिले हम जिससे भी  सबका नेकी भरा स्वभाव हैं
शुक्रिया मेरे दोस्त 
शुक्रिया इलाहाबाद
दुआ है रहो सदा आबाद🙏

©Arun kr.
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Arun kr.

White प्यार किसी को पा लेना या शारिरिक संबंध भर ही नही हैं
प्यार सुख की अनुभूति या ना मिलने का दुख भर ही नही हैं
प्यार बदलाव है ,सुधार है ,क्रांति है ,विद्रोह है
जाति से, धर्म से,उच्च -नीच, भेदभाव से
रूढ़िवादी रीति- रिवाज और लोगों के अलगाव से
प्यार  मुक्ति है दहेज से , शोषण , उत्पीड़न , अत्याचार से
पतृसता से लिपटे जंजीर से
प्यार प्रतीक है समानता का
आत्मनिर्णय और स्वालंबन का
प्यार दूर करता है लिंग भेद को
चारदीवारी  कैद से कैदी को
प्यार जीत है विश्वास का ,भरोसे का, एक -दूजे के साथ का
प्यार उड़ान है अपनी पहचान का ,अपनी अरमान का
प्यार गवाह है सिमा पार सिमा का
मेहनतकश दशरथ मांझी का
प्यार राजा और रंक की खाई को भरता है
प्यार तो इंसानियत की पाठ पढ़ता है ।

©Arun kr. #Couple
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Arun kr.

BeHappy  शौक न था उनसे दूरी बनाना
चाहते तो हम भी थे करीब रहना
ये दूरी भी  तो उनके लिए था
आख़िर नाकामयाब और बेरोजगार को कौन पूछता
कब तक रहते करीब हम ऐसे
एक वक्त के बाद वो भी रोजी रोटी जुटाने को कहते 
बिन आमदनी वो हमारे साथ कैसे रहते
क्या तब वो मेरे करीब रहना चाहते
चाहते तो हम भी थे करीब रहना
ये दूरी भी तो उनके लिए ही था
अपना क्या अपना तो कट जाती जिंदगी जैसे तैसें
उनके सपनो को कौन संजोगता
अपने प्रिय को खुश देखना कौन नही चाहता
ये दूरी भी तो उनके लिए था
पर शायद उनके समझ से परे था।

©Arun kr.
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Arun kr.

सड़को पे "हम अपना अधिकार मांगते नही किसी से भीख मांगते" की गूंज हैं
चौकिदार फ़िर भी कहते  देश महफूज है
नाराजगी जन जन में झलक रही
चौकिदार फिर भी कहते इस बार चार सौ पार आ रही
विचार अभिव्यक्ति पर भी पाबंदी हैं
कोई' मन की बात' थोपे ये नही कोई गुंडागर्दी है
लोकतंत्र के चार कमान
चारो सुने एक की ही फरमान
घर घर लड़ाते है फिर भी शांति का संदेश सुनाते हैं
इनके हर बात में अच्छे दिन आते है
सबका साथ सबका विकास और  सबका विश्वास
ठीक विपरीत है इसके एक वर्ग छोड़ सबका विनाश
गर्त में जाता ये देश
फिर भी  चौकिदार विश्वगुरू का देता संदेश
जबरन वाहवाही की हौड़ हैं
मानो चौकिदार का ही दौड़ हैं
लोग सड़क पर गुहार लगाते
चौकिदार हैं कि रूआब दिखाते
लोगों के जीवन नरक हो आई
चौकिदार कहते देखो राम राज्य है आई
अरे चपा चपा गूंज रहा इंकलाब के नारों से
सुन लो  चौकिदार हम नही डरते भारो की दलालों से।

©Arun kr.
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Arun kr.

जंहा तक निगाहें जाता
वंही तक सोच पाता हूँ
उससे आगे बढूं तो एक नई दुनिया पाता हूँ
बिल्कुल अनभिज्ञ -अनजान सा
देख सब चौंक जाता हूँ
पीछे जो बबर शेर था आगे  डरा- सहमा सा
आगे वाले से बिल्कुल हारा सा
अक्कल का मारा सा
खुद को खूब समझने की भ्रम टूटता हैं
जब -जब आगे बढूं
तब- तब  हम तो कुछ भी नही का सवाल उठता हैं
जंहा हूँ वंहा लाखों रह चुके हैं
लाखों के सपने भी हैं वंहा पहुंचने के
अपने पीछे वाले से बेहतर 
आगे वाले से बदतर
हर बार खुद को मध्य में पाता हूँ
अपनी निगाहों से आगे बढूं तो हर बार एक नई दुनिया पाता हूँ ।

©Arun kr. #seagull
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Arun kr.

सोचता हूं कि पा लूं उसे
फिर सोचता हूं कि  लिख न पाऊंगा
ये जो एहसास है भर जाएगा
मिल जाने के बाद फिर वो याद नही आएगा
फिर अरुण कैसे लिख पायेगा
उसे खोकर ही तो चर्चित हो पाया हूं
न मिलने से ही तो ये हुनर पाया हूं 
अब पाकर भी क्या करूं
जब सब जग जाहिर हैं
यही किस्से सुनाने में तो अरुण माहिर हैं।

©Arun kr.
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