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हाथ में प्रेम की पातियाँ ले, ​नदी किनारे, ​उस बूढ़े

हाथ में प्रेम की पातियाँ ले,
​नदी किनारे,
​उस बूढ़े बरगद के नीचें बैठ,
​अपनी तर्जनी से जब मैनें,
​सावन की विरह बूँदों से भीगी,
​उस गिली मिट्टी पर उसका अक्स उकेरा,
​तो दिल,
​मिट्टी में मिली उन बूँदों के जैसे,
​किसी प्यासे की प्यास बुझाने को तड़प गया,
​
​नक्श दर नक्श जो,
​करीने से बनाया अक्स उसका,
​जैसे कोई कुम्हार बनाने से पहले सोचता है,
​मिट्टी के आगे का अस्तित्व तय करता है,
​कि...उस गीली मिट्टी को क्या रूप दूँ,
दिलों को जलाती ​चिलम बनाऊँ....या 
​शीतलता पहुँचाए मन को...वो सुराही बनाऊँ, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे

#गलती

हाथ में प्रेम की पातियाँ ले,
​नदी किनारे,
​उस बूढ़े बरगद के नीचें बैठ,
​अपनी तर्जनी से जब मैनें,
हाथ में प्रेम की पातियाँ ले,
​नदी किनारे,
​उस बूढ़े बरगद के नीचें बैठ,
​अपनी तर्जनी से जब मैनें,
​सावन की विरह बूँदों से भीगी,
​उस गिली मिट्टी पर उसका अक्स उकेरा,
​तो दिल,
​मिट्टी में मिली उन बूँदों के जैसे,
​किसी प्यासे की प्यास बुझाने को तड़प गया,
​
​नक्श दर नक्श जो,
​करीने से बनाया अक्स उसका,
​जैसे कोई कुम्हार बनाने से पहले सोचता है,
​मिट्टी के आगे का अस्तित्व तय करता है,
​कि...उस गीली मिट्टी को क्या रूप दूँ,
दिलों को जलाती ​चिलम बनाऊँ....या 
​शीतलता पहुँचाए मन को...वो सुराही बनाऊँ, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे

#गलती

हाथ में प्रेम की पातियाँ ले,
​नदी किनारे,
​उस बूढ़े बरगद के नीचें बैठ,
​अपनी तर्जनी से जब मैनें,
akalfaaz9449

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#पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #गलती हाथ में प्रेम की पातियाँ ले, ​नदी किनारे, ​उस बूढ़े बरगद के नीचें बैठ, ​अपनी तर्जनी से जब मैनें, #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes