White पत्थर सुलग रहे थे कोई नक्श-ए-पा न था हम उस तरफ़ चले थे जिधर रास्ता न था परछाईयों के शहर की तनहाईयां न पुछ अपना शरीक-ए-ग़म कोई अपने सिवा न था यूं देखती हैं गुमशुदा लम्हों के मोड से इस जिंदगी से जैसे कोई वास्ता न था चेहरों पे जम गई थी ख़यालों की उलझनें लफ़्जों की जुस्तजु में कोई बोलता न था ©Deepbodhi #sad_quotes shayari attitude shayari in hindi hindi shayari