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तर्क,तथ्यों से तटस्थ हो कर, विशुद्ध भावनाएँ टटोलती

तर्क,तथ्यों से तटस्थ हो कर,
विशुद्ध भावनाएँ टटोलती हूँ ;
उलझ रहे साक्ष्य-संबंधों की,
गिरह-गिरह जब खोलती हूँ ;
                                    देख अधूरा भरमाती तब,
                                    पुनः स्वयं को समझाती,
                                    क्यूँ कोई छोटे-बड़े सच,बातों के
                                    बीच से फिसल जाने देता है;
कुछ कटु असह्य न कह कर,
किसीकी आस्था का मान रखता है;
शांत रखने को उसकी उद्विग्नता,
अपनी मंशा को छिपा कर रखता है;
                                    जब कभी अनचाहे घटित या,
                                    भवितव्य को कोई ढ़क देता है,
                                    अहसासों को आहत होने से,
                                    स्नेह संबंधों को क्षत होने से,
सुंदर सुकोमल संरक्षण देता है,
कभी मौन,कभी शब्दों का आवरण देता है। सत्य अप्रिय हो तो, वह
कभी मौन कभी शब्दों,
का आवरण देता है,
अहसासों को आहत होने से,
संबंधों को क्षत होने से,
स्नेह संरक्षण देता है ।
#yqdidi#love#spouse#relation#hindi#poems
तर्क,तथ्यों से तटस्थ हो कर,
विशुद्ध भावनाएँ टटोलती हूँ ;
उलझ रहे साक्ष्य-संबंधों की,
गिरह-गिरह जब खोलती हूँ ;
                                    देख अधूरा भरमाती तब,
                                    पुनः स्वयं को समझाती,
                                    क्यूँ कोई छोटे-बड़े सच,बातों के
                                    बीच से फिसल जाने देता है;
कुछ कटु असह्य न कह कर,
किसीकी आस्था का मान रखता है;
शांत रखने को उसकी उद्विग्नता,
अपनी मंशा को छिपा कर रखता है;
                                    जब कभी अनचाहे घटित या,
                                    भवितव्य को कोई ढ़क देता है,
                                    अहसासों को आहत होने से,
                                    स्नेह संबंधों को क्षत होने से,
सुंदर सुकोमल संरक्षण देता है,
कभी मौन,कभी शब्दों का आवरण देता है। सत्य अप्रिय हो तो, वह
कभी मौन कभी शब्दों,
का आवरण देता है,
अहसासों को आहत होने से,
संबंधों को क्षत होने से,
स्नेह संरक्षण देता है ।
#yqdidi#love#spouse#relation#hindi#poems