ताश के पत्तों का इक्का, बन बैठा ज़िन्दगी का सिक्का, कब कंगाल बना दे ये, जानें कब कर दे हक्का बक्का। ये इक्का मेरे जीवन में, कभी आता तो कभी जाता है, जानें क्यों पल-पल में, अपना रंग रूप दिखलाता है। कभी बनाता शहंशाह मुझे, कभी ये रंक बनाता है, धूप-छांव की तरह जीवन में, अपना खेल दिखाता है। जो पड़ते इक्के के चक्कर में, ज़िन्दगी भर वो रोते हैं, जो सिक्के ज़िन्दगी बन जाए, खोटे सिक्के होते हैं। #challengeno24 #collabwithtsom #the_speed_of_motivation 👉collab करने से पहले हमारे नियम और शर्तों को पिन 📌पोस्ट पर पढ़ें ! 👉 8 पंक्तियों के साथ collab करें ! 👉 collab करने के बाद कमेंट बॉक्स में 55555 लिखें !