आज पूछते हो तुम मुझसे मैं क्यों इतना बदल गया हूँ? जब रात-रात भर चिल्लाता था, पीड़ाओं को सहलाता था तब कहाँ छुपे थे मेरे अपने? पीड़ाएँ जब दी थी सबने! आज पूछते हो तुम मुझसे मैं क्यों इतना बदल गया हूँ? प्रेम नही चाहा था तुमसे अवलम्ब नही मांगा था तुमसे! फिर भी!तुम ऐसे भाग रहे थे, हम जैसे जीवन माँग रहे थे? जब मैं साया बन सकता था, जब मैं छाया दे सकता था तब पत्ते-पत्ते नोच रहे थे मेरी टहनी को काट रहे थे जब स्वाभिमान को रौंद रहे थे, फिर भी हम बिल्कुल मौन रहे थे मेरे समर्पित जीवन से तुम घटा-मुनाफा तौल रहे थे! क्या अब भी तुम पूछोगे मुझसे मैं क्यों इतना बदल गया हूँ?? अरे विवशते! तुम तो समझो मौन छलावे!तुम तो समझो मैं क्यों इतना बदल गया हूँ ? मैं क्यों इतना बदल गया हूँ? #DCF