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सुमित शर्मा

मैं

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सुमित शर्मा

इनके सच उनके सच न जाने कितनों के सच
इनमें एक नही है शामिल ,वो है केवल अपना सच

ये भी सच वो भी सच,सारे के सारे हैं सच
उस सच पर है उठा प्रश्न,जो है सदा निखालिश सच

आओ आओ बैठो बैठो,लाओ खोज पुराना सच
नही अगर मिल पाता है तो,कोई नया बनाओ सच

एक झूँठ से सच काटो फिर एक नया सच गढ़ ढालो
टूटो-फूटो  रोओ -गाओ फिर भी नही बदलता सच


'S' #सच
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सुमित शर्मा

इनके सच उनके सच न जाने कितनों के सच
इनमें एक नही है शामिल ,वो है केवल अपना सच

ये भी सच वो भी सच,सारे के सारे हैं सच
उस सच पर है उठा प्रश्न,जो है सदा निखालिश सच

आओ आओ बैठो बैठो,लाओ खोज पुराना सच
नही अगर मिल पाता है तो,कोई नया बनाओ सच

एक झूँठ से सच काटो फिर एक नया सच गढ़ ढालो
टूटो-फूटो  रोओ -गाओ फिर भी नही बदलता सच


'S' #सच
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सुमित शर्मा

देख मनुज की अन्तः पीड़ा,
            आओ अपने दुःख को भूले
करे विकास हम इतना ज्यादा
             जाकर ऊंचे नभ को छू ले

जीवन मे सुरभित समीर बहे
                   यही संजोया सपना है
देखो दृष्टि उठाकर देखो
                     खेत लहलहा अपना है

तन हो निर्मल,मन हो निर्मल
                  जीवन खुशियों से भरा रहे
यही कामना है बस मेरी
                मन सबका, सबसे मिला रहे

दूर अंधेरा उर का होगा,
               तभी रात पूनम की होगी
होगा जब ये पूरा सपना
                बरसात माह सावन की होगी

आये सबके जीवन मे अब
            सुंदर सा मनभावन प्रात
खिलें हृदय की सोयी कलियां
             कभी न हो अंधेरी रात

होगा देश जब अपना ऐसा 
             अपार खुशी जब सबको होगी
मित्र आपका यह आस सँजोये
              तृप्ति सारे जन को होगी

🤗 #आओ_नभ_को_छू_लें
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सुमित शर्मा

वेदनाओं के भँवर में 
           घूमता अक्सर रहा मैं
किंतु ये मालूम था कि
               वेदनाएँ मुक्त होंगी
और फिर किसलय खिलेंगी

अपेक्षाओं के जगत में
               संभाव्यता भी खत्म थी
किंतु ये मालूम था कि
                   उपेक्षाएं मुक्त होंगी
और फिर किसलय खिलेंगी

वे छण अभी तक याद है
                जब पाँव मेरे दग्ध थे
किंतु ये मालूम था कि
               वे मरुस्थल मुक्त होंगी
और  फिर किसलय खिलेंगी

मैं ही विष था,मैं मरुस्थल
               मैं ही खुद का शत्रु था
किंतु ये मालूम था कि
              ये शत्रुता भी मुक्त होगी
और फिर किसलय खिलेंगी||

😊 मुस्कुराते रहिए 😊
        
✍️ सुमित #DCF
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सुमित शर्मा

बात-बात पर मुस्काते हो
                   बात-बात पर इठलाते हो
मुझे पता है मेरे साथी
                      तुम पग-पग पर छले गए हो

वो वक्त मुझे मालूम है जब
                      तुम प्रेम बांटते फिरते थे
लहरों की आवारी बन जब
                 यायावर सा फिरते थे
पर आज अचानक रुका देख
                   ये प्रश्न तुम्ही से पूछ रहा
घाव नही दीखते है पर
तुम बाणों से बिंधे हुए हो

अपनी जिद की ना-हद तक तुम
                         तीखे प्रतिवाद कराते थे
लेकिन रिश्तों की वीरुध पर
                       तुम किसलय सा हो जाते थे
पर आज अचानक मौन देख 
                       ये प्रश्न तुम्ही से पूछ रहा
जुड़े-जुड़े से लगते हो पर
तुम भीतर से टुटे हुए हो

उसके सपने उसकी खुशियाँ
                          सब  अपने तुमको लगते थे
उसकी पीड़ा और जख्मो को
                            अपने अश्को से चखते थे
पर आज अचानक किये आह! तो
                    प्रश्न तुम्ही से पूछ रहा
जिये-जिये से लगते हो पर
तुम भीतर से मरे हुए हो #DCF
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सुमित शर्मा

मेरा समंदर होना ही शायद मेरी मजबूरी है कि चन्द कदम भी तुम्हारे साथ नही चल सकता

और तुम्हारा नदी होना ही तुम्हारी खुशनसीबी है कि तुम स्वतंत्र हो कहीं भी किसी भी मोड़ पर चले जाने के लिए #DCF
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सुमित शर्मा

मैं खामोश था और तुम बोलती चली गई  ,मै अपने में तुम्हे जीता रहा...

जब मैने कुछ कहना चाहा तो तुमने भी खामोशी अख्तियार कर ली ...

मेरे अस्तित्व को नकारने की,पूरी ताकत तुममे शेष थी! #NojotoQuote

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सुमित शर्मा

तेरी याद आती जब भी मुझे है
         नन्हा सा दिल ये तड़पता बहुत है
आती नही अब बनकर बहारें
          तुमसे बिछड़कर रोना बहुत है

तेरे बोल मुझको ऐसे लगे थे,
           मंदिर में मानो घण्टी बजी हो
तेरा रूप मुझको ऐसा लग था
          मंदिर में जैसे मूरत सजी हो

आयी नही जबसे दरिया किनारे
          महके नही तबसे उपवन बगीचे
अनखिले फूल की तुम सुंदर कली हो
       वर्षा की रिमझिम फुहारों से सीचें

चलो हो गया अब कहना बहुत,
            जीवन मे है दुख सहना बहुत
कुछ न सही एक दृष्टि ही डालो
             धरा पर नही अब रहना बहुत

विरह की अग्नि में मैं इतना जला कि
          छंद के बोल मुख से निकल ही गये
अद्यतन लिख् रहा हूँ ऐ मेरी प्रेरणा
                  दूर रहते हुए पास रह ही गये

अब यही आस मन की पूरी करो
                छंद ही छंद जीवन मे लिखता रहूं
दिल के पन्ने जो अब तक अधूरे रहे,
                विटप के झुरमुटों में पढ़ता रहूँ!
तेरी याद मुझको....... #DCF
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सुमित शर्मा

जब होना होना था नाराज कभी,तब तुम हँस पड़ी हो 
सच कहता हूँ यार, तुम बहुत  नकचढ़ी हो

जब होना था अभिव्यक्त कभी, तो मौन धरे तुमको पाया
जब हो जाना था निर्झर तो, सरिता बनते तुमको पाया

जब छाँव कभी देना था,तो कड़ी धूप बनते पाया
जब  होना था नाराज कभी,तो मुस्काते तुमको पाया

जब चाहा चलो रूठ जाऊं,तो आँख तरेरे तुमको पाया
जब चाहा चलो भूल जाऊं,तो अश्क बहाते तुमको पाया

जब होना था नाराज कभी ,तब तुम हँस पड़ी हो
सच कहता हूँ यार तुम बहुत  नकचढ़ी हो #DCF
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सुमित शर्मा

मैं फिर से तो बन जाऊं सूरज!
             क्या तुम दीपक बन पाओगी?
अगर हुआ ऐसा कुछ तो,
             सच में जीवन बन जाओगी!

जलो-जलो जल्दी दीये!
              इतनी देरी भी ठीक नही,
उम्मीद जगाकर बुझी रहो,
               इतना तड़पाना ठीक नही!

सोचो-सोचो पल क्या होंगे?
              जब कदम तेरे बढ़ आएंगे
जितनी पीड़ा जितनी तड़पन,
              इक पल में ही मिट जाएंगे #DCF
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