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Black ग़ज़ल ------- वो अगर बेवफ़ा नहीं होता घर मि

Black ग़ज़ल
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वो अगर बेवफ़ा  नहीं होता
घर मिरा यूँ जला नहीं होता

मंजिलों  पर पहुँचके सुस्ताते
राह  में  ये  बला  नहीं  होता

आप  करते  नहीं  इशारा जो
मन कभी मनचला नहीं होता

हम  खिले  फूल हो गये काँटे
जिस्म  ऐसे  गला  नहीं  होता

जो  बुरा  इस  जहां में करता है
भूलकर  भी   भला  नहीं  होता

हाल   ऐसे   नहीं   कभी   होते
जो  नहीं   आपने   छला   होता

है  कमी  आपमें  भी  हममें  भी
ठीक   होते   अगर  कला  होता

हम  नहीं   लौटकर  अगर  आते
उस  जगह भारी जलजला होता

राकेश कुमार सिंह, 'विराट'
मदरौनी, भागलपुर(बिहार)

©Shailendra Gond kavi
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