Nojoto: Largest Storytelling Platform

Life Like जानते हो ! हमारा प्रेम उस गीली लकड़ी सरी

Life Like जानते हो !
हमारा प्रेम उस गीली लकड़ी सरीखा है जो
ठंड रातों के अलाव में हौले हौले सुलगती 
लकड़ी से बने अंगारे और राख में परिवर्तित होती
गरम मन्द मन्द सी ऊष्मा लिए
बस ख़्यालों और कल्पनिक संवादों में 
गुजरती एक सर्द रात सी
न जाने इन गुजरती रातों की संख्या कब इकाई से 
दहाई और दहाई से सैकड़ों और फिर सौकड़ों से अनगिनत में 
कब ढलती गई और सालों के ढाचों में ढलती रही
और इन सालों में एक मादक सा गंध का एहसास 
उनींदी सी आँखें अधूरे ख़्वाब और चन्द अभिव्यंजनाओं का
आदान प्रदान
मानो कितना कुछ मिल जाता हो किसी रात 
और कितना कुछ मिलने की चाह में 
कतरा कतरा कटती रातें
 परत दर परत यादों का जमा होना
मानो रेत का चट्टान बनना
 इस पाषाण होती यादों को कई बार साँसें दी हैं
हम दोनों ने कोरे वर्क के ऊपर
मानो अबोध शब्दों को एक साथ जमा कर देना
और फिर भावों की स्याही से बस लिखते जाना
इस अबोध शब्दों के साथ भी प्रेम रहा साया बन
और बस यही भाव तो प्रेम का पर्याय है जो आज भी 
हम दोनों को बाँधे है प्रेम बंधन में
कभी निःशब्द संवाद तो कभी काल्पनिक संवादों के साथ
और तुम्हारे साथ शब्दमय संवाद हो कभी ये उम्मीदें
हर सुबह जन्म लेती हैं और साँझ ढलते ढलते 
एक और रात इकाई बन सालों के साँचे में आकार लेती रहती है...!

✍️〽️oनिका ' मिश्री '

©Manvi  Singh Manu
  #Lifelike