किश्तों में जी लिया है मैंने जीवन का आयाम, सुबह दुपहरी बीत चुकी अब होने को है शाम, सर्दी, गर्मी, भूख, आपदाओं ने सबक सिखाया, मुश्किल हालातों में अक्सर हिम्मत से लो काम, तिनका-तिनका जोड़ घोंसला होता जब तैयार, कलरव करते मन में पंछी हृदय हुआ अभिराम, सुख-दुःख सबको गले लगाकर हमने रात गुजारी, कठिन राह पर चलकर मंज़िल हो जाती आसान, सीख लिया पथ की बाधाओं से ना कभी उलझना, वक़्त यहाँ मिलता है थोड़ा करने को आराम, मिले सफलता लक्ष्य यही रहता सबका जीवन में, कर्म बिना डूबेगी नैया मिले न उच्च मुकाम, अवसर की तलाश में चातक बनकर रहना 'गुंजन', कदम पड़े जब मंजिल पर तब ही पाऊँ विश्राम, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #होने को है शाम#