Nojoto: Largest Storytelling Platform

मै चीरना चाहती हू ख़ुद के अंदर की वो सारी आवाजें

मै चीरना चाहती हू ख़ुद के
अंदर की वो सारी आवाजें

जो युगों युगों से खामोश
रखी है मुझे

मै हृदय की आग को
दिसम्बर की बर्फीली
लहर मे समेटना चाहती हू 

जी वर्षो से सीने मे 
धधक रही है

पर रिवाजों का कैद
बहुत गहरा है

और संस्कारों का पिंजर
बेड़ियों से लबालब

धीर! मेरे रूह की
अपर्याप्तता बताती है

©चाँदनी
  #धीर

#धीर

396 Views