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आगे की यात्रा में मेरे निर्णय क्या होंगे पता नही

आगे की यात्रा में मेरे  निर्णय क्या होंगे पता नही ,
पर आज तो अपनी यात्रा मे न्यूट्रल   हूं ,

तो आज अभी न किसी की जिंदगी में जाने का मन है 
न मन किसी को स्वीकार करने के लिए तैयार ,
मुझे लगता है मेरे अंदर किसी बात का कोई उत्साह अभी तो नही है 
यह उत्साह क्यू नही है कभी यही सवाल मेरा दोस्त मुझसे कर बैठे तो 
शायद मे जवाब दूगी,

यार मेरे बस की बात नही है निभाना,
और न ही मेरे साथ कोई निभा सकता है ,
एक रिश्ते मे बहुत कुछ सुनना सहना, सह कर चुप रहना होता है ,
मेरा तो बर्ताव ही अलग है
थोड़ी सी बात और कब मेरा माथा गुस्से से फटने लगे मुझे भी  नहीं पता,
तुम एक की बात करो मैं कब तुम्हे हज़ार सुनादू ए तुम्हे नही भूल सकता,
तुम्हारा थोड़ा सा जज करना मेरे सर के ऊपर से पानी निकल सकता है ,
सच्ची हू निश्चल निडर हू बहादुर स्वाभिमानी हूं
सब कुछ अच्छा है मुझमें पर एक कमी जो मैं सबसे दूर रहती हूं 
 तो भाई सहनशीलता की कमी है मुझमें,
जान छिड़कते दोस्त है मेरे ,
वो इसलिए क्युकी वो सहते है मुझे ,
मेरे नखरे, मेरे गुस्से मेरी बेवकूफी
उन्होंने सब कुछ अपना कर रखा है
खासियत से भरे हम नही दोस्त कोहिनूर से है 
परममित्र कम  मेरे दोस्त /सहेली मेरा घर ज्यादा है ,
अब मिलेंगे कभी जिससे कायनात मिला देगी ,may be 
जिससे vives match कर जाय और मेरे से ज्यादा
सामने वाले का मन हो जाय
खैर ए वक्त वक्त की बाते है देखते है ....

©nensi gangele #ख़ामोश मन 

#tereliye
आगे की यात्रा में मेरे  निर्णय क्या होंगे पता नही ,
पर आज तो अपनी यात्रा मे न्यूट्रल   हूं ,

तो आज अभी न किसी की जिंदगी में जाने का मन है 
न मन किसी को स्वीकार करने के लिए तैयार ,
मुझे लगता है मेरे अंदर किसी बात का कोई उत्साह अभी तो नही है 
यह उत्साह क्यू नही है कभी यही सवाल मेरा दोस्त मुझसे कर बैठे तो 
शायद मे जवाब दूगी,

यार मेरे बस की बात नही है निभाना,
और न ही मेरे साथ कोई निभा सकता है ,
एक रिश्ते मे बहुत कुछ सुनना सहना, सह कर चुप रहना होता है ,
मेरा तो बर्ताव ही अलग है
थोड़ी सी बात और कब मेरा माथा गुस्से से फटने लगे मुझे भी  नहीं पता,
तुम एक की बात करो मैं कब तुम्हे हज़ार सुनादू ए तुम्हे नही भूल सकता,
तुम्हारा थोड़ा सा जज करना मेरे सर के ऊपर से पानी निकल सकता है ,
सच्ची हू निश्चल निडर हू बहादुर स्वाभिमानी हूं
सब कुछ अच्छा है मुझमें पर एक कमी जो मैं सबसे दूर रहती हूं 
 तो भाई सहनशीलता की कमी है मुझमें,
जान छिड़कते दोस्त है मेरे ,
वो इसलिए क्युकी वो सहते है मुझे ,
मेरे नखरे, मेरे गुस्से मेरी बेवकूफी
उन्होंने सब कुछ अपना कर रखा है
खासियत से भरे हम नही दोस्त कोहिनूर से है 
परममित्र कम  मेरे दोस्त /सहेली मेरा घर ज्यादा है ,
अब मिलेंगे कभी जिससे कायनात मिला देगी ,may be 
जिससे vives match कर जाय और मेरे से ज्यादा
सामने वाले का मन हो जाय
खैर ए वक्त वक्त की बाते है देखते है ....

©nensi gangele #ख़ामोश मन 

#tereliye