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उजाले से हृदय का अनुबंध कर ले, अपनी ख़ातिर ख़ुश

उजाले  से  हृदय  का अनुबंध कर ले,
अपनी ख़ातिर ख़ुशी का प्रबंध कर ले,

बीत  जाए  भटकने  में  ही  न ये पल,
तोड़  मन  की  बेड़ियाँ  स्वछंद कर ले,

बाहरी   परिदृश्य   छलते   हैं   हमेशा,
देख  ले  दर्पण  नयन  को बंद कर ले,

अंधेरा  है  हर   जगह  अज्ञानता  का,
जला  दीपक  ज्ञान का आनंद कर ले,

विकल्पों  से  हो  तुम्हारा  सामना  तो,
सत्यपथ  को  ही  प्रथम पसंद कर ले,

अगर  ख़तरा  हो कभी सैलाब का तो, 
पास  घर  के  ही  कोई तटबंध कर ले, 

सीख ले चलना समय के साथ 'गुंजन',
फूल  से  दामन  भरो  गुलकंद कर ले,
   ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #ख़ुशी का प्रबंध कर ले#
उजाले  से  हृदय  का अनुबंध कर ले,
अपनी ख़ातिर ख़ुशी का प्रबंध कर ले,

बीत  जाए  भटकने  में  ही  न ये पल,
तोड़  मन  की  बेड़ियाँ  स्वछंद कर ले,

बाहरी   परिदृश्य   छलते   हैं   हमेशा,
देख  ले  दर्पण  नयन  को बंद कर ले,

अंधेरा  है  हर   जगह  अज्ञानता  का,
जला  दीपक  ज्ञान का आनंद कर ले,

विकल्पों  से  हो  तुम्हारा  सामना  तो,
सत्यपथ  को  ही  प्रथम पसंद कर ले,

अगर  ख़तरा  हो कभी सैलाब का तो, 
पास  घर  के  ही  कोई तटबंध कर ले, 

सीख ले चलना समय के साथ 'गुंजन',
फूल  से  दामन  भरो  गुलकंद कर ले,
   ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #ख़ुशी का प्रबंध कर ले#

#ख़ुशी का प्रबंध कर ले# #कविता