गर स्त्री का सम्मान घूंघट पे आश्रित है, तो क्या देखा है शक्ति या श्री को कभी घूंघट में..? गर घूंघट से स्त्री को सुरक्षित समझते हो, तो क्या देखा है कभी चण्डी या काली को घूंघट में..? जो कहते हो घूंघट है हया का द्योतक, तो क्या देखा है कभी गौरी या सती को घूंघट में..? गर घूंघट से आंकते हो एक स्त्री का चरित्र, तो क्या देखा है कभी राधा या रुक्मणि को घूंघट में..? गर फिर भी घूंघट है इतना जरूरी, तो बेशक रखो प्रथा के रूप में.. बनाकर उसको कदमों की जंजीरें, मत बनाओ इसे इक स्त्री की मजबूरी..!! नमस्कार लेखकों!🌻 मई के माह के साथ, हम आपके लिए लेकर आए हैं दैनिक शब्द जिसके अंतर्गत आप collab द्वारा अपने लेखन में उस शब्द का प्रयोग करेंगे। आज का शब्द ~ घूंघट नए महीने के नए कार्य पर हाथ आज़माने के लिए शुभकामनाएं!✨