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कमलेश जिसे दुनियाँ कहती है धूल कुछ लोग उसमें भी ऊग

कमलेश जिसे दुनियाँ कहती है धूल
कुछ लोग उसमें भी ऊगा लेते है फूल

नजर नजर का फेर है दुनियाँ दोस्तों
सबके एक से कहाँ होते है उसूल।

कुछ लिप्त होते, कुछ होते मुक्त यारा
किसी के लगे सुकोमल, किसी को शूल।

लक्ष्य संधान कर, निष्काम भाव से
जो मिले संतुष्ट रहो, बांकी जाओ भूल।

©Kamlesh Kandpal
  #njriya