कौन कहता है की समय दुबारा लौट कर नही आता, लोग देख कर अनदेखी कर देते है जो वक़्त पीछे छूट चुका था, वो फिर से दोहराने चला हु वो गलती जो पहले की थी मैने वो फिर से करने चला हु अपनो की हाथ छोड़कर,फिर से मौत से हाथ मिलाने चला हु। तो क्या फर्क पड़ता है कि एक दी हुई सोलत से एक तपिस प्यास ना मिटे। तो क्या फर्क पड़ता है कि 135 करोड़ की आबादी में एक दोस्त ना ही रहे कुछ देर का शोर ही तो था जो पुनः खामोशी में ही लिप्त हो जाएगा। ©अपूर्व कश्यप #खमोशी