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कही गुम हैं खामोशी शोर के आशियाने में कही खफा हैं

कही गुम हैं खामोशी 
शोर के आशियाने में
कही खफा हैं तन्हाई
झुठी कुरबत की महफिलो में..
कही रूठी हुई हैं शाम,बिखरे रंगो की महफिलो में
कही खोया हुआ हैं आसमान
चाँद और चाँदनी की आँख मिचौली में..
कभी साया हैं परछाई
पिछे छुटे ख्वाबों का 
तो कभी परदा हैं यह आँखे,बिते हुए कल का...
कही मुरझाइ हैं कायनात
तो कभी सावन भी बेकरार हैं
कभी आँधी हैं आँचल में
तो कभी बेशुमार प्यार हैं..
खामोश ठहरी राहों में 
इन आँखो को ना जाने किसका इंतजार है
अब तो दिल भी चीख चीख के कह रहा 
ना जाने क्यु लग रहा 
कुछ ऐसाही हमारा हाल हैं....

©Gayatri Garud new3

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#WalkingInWoods
कही गुम हैं खामोशी 
शोर के आशियाने में
कही खफा हैं तन्हाई
झुठी कुरबत की महफिलो में..
कही रूठी हुई हैं शाम,बिखरे रंगो की महफिलो में
कही खोया हुआ हैं आसमान
चाँद और चाँदनी की आँख मिचौली में..
कभी साया हैं परछाई
पिछे छुटे ख्वाबों का 
तो कभी परदा हैं यह आँखे,बिते हुए कल का...
कही मुरझाइ हैं कायनात
तो कभी सावन भी बेकरार हैं
कभी आँधी हैं आँचल में
तो कभी बेशुमार प्यार हैं..
खामोश ठहरी राहों में 
इन आँखो को ना जाने किसका इंतजार है
अब तो दिल भी चीख चीख के कह रहा 
ना जाने क्यु लग रहा 
कुछ ऐसाही हमारा हाल हैं....

©Gayatri Garud new3

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