खामोशियाँ है कि चीख़ रही... ज़ुबा है, की खामोश हैं.. ये जो सामनें बैठा है तख़्त पर.. उसको ख़ुदा बन जाने का भूत है कोई जा कर उसके कान में ये फुसफुसा दे... लफ्ज़ ही ख़ामोश है, अंदर इनके धधक रही एक आग है.. जिस दिन टूट जाएगा इन का सबर का मौन.. उस दिन समझ लेना तेरा तख़्त भी ख़ाक है.. #अभय #IndiaLoveNojoto