ना वैसे दिन रहे ना वैसी रात रही ना वैसे लोग रहे ना वैसी बात रही फिरभी जो है पास मे उसे बचाया जाए जो बिखर गया है उसे सजाया जाए गिर गये किसी मोड़ पर तो अगले मोड़ पर सम्भलना भी है कड़ी धूप है जख्म है वक़्त भी खिलाफ़ है फिरभी आखिर जिन्दगी है ये इसलिए चलना भी है आशीष त्रिपाठी से 5 भिलाई #worldpostday