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RjSunitkumar

#worldpostday

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Praveen Jain "पल्लव"

#worldpostday दीवालें बस कलेंडर बदलती

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पल्लव की डायरी
दीवालें बस कलेंडर बदलती
दिन महीना साल गुजर जाते है
जीवन एक पहेली की तरह है
उलझन में हम सब उलझ जाते है
आईने के समाने जब चेहरा लाते
झुर्रियों के बल उम्र गवाते है
आंकलन अगर करे बीते वर्षों का
पाने से ज्यादा गवाते है
बहकते रहते इस कालचक्र के हाथों में
कठपुतली भर जैसे नाच नचाते है
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #worldpostday दीवालें बस कलेंडर बदलती

Vikas Gupta

#worldpostday

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एक मित्र से हुई बड़े दिनों बाद मुलाकात
हमारा हुलिया देख शुरू हो गए उनके सवालात

ये क्या ढाढ़ी क्यों बढ़ाई, बाल क्यों नही कटवाए
बोला उन्होंने कोई मन्नत ठानी है क्या ,तो बतलाए

हमने कहा, हमने कोई भी मन्नत नही ठानी है
ये जो आप देख रहे है सब बेरोजगारी की निशानी है

क्या कहा आप बेरोजगार है ? 

अरे आप तो चौँक रहे है ऐसे ,
 मानो हम आपके गुन्हेगार है

उन्होंने कहा, अब आगे क्या सोचा है
 हमने कहा, 5 रुपये का धनिया
और फ्री मे एक टुकडा अदरक सोचा है

वो बोले, महोदय आपकी सोच को नमस्कार
लेकिन क्या आपकी प्रियतमा को है स्वीकार

अरे! उनको क्या ऐतराज हो सकती है
खर्चे उठाने के लिए उनके पास है बहुत से यार

वो बोले, महोदय मेरा सीधा सवाल, कब कमाओगे? 
हमने कहा, हमें अपने घर कब बुलाओगे? 
क्या मतलब? 
महमान बनाकर घर ले जाओ, डिनर पर सारी बात पाओ
सावन का महीना है ये महोदय चिकन नही शाही पनीर खिलाओ

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta #worldpostday

Ubaida khatoon Siddiqui

हमें लगता हैं हम गलत दुनिया में आ गये हैं 
हमें इंसान नहीं alien होना चाहिए था
जिससे ना तो हमें किसी की छोटी -छोटी बातों पर
बुरा लगता, ना छोटी- छोटी बातों पर रोते
और ना ही इतने गुस्सा करने वाले, चिड़चिड़े होते, 
इस मतलबी दुनिया से दूर होते , 
जहाँ इंसान को इंसान की फ़िक्र नहीं
इंसानियत नहीं, 
जलन, लड़ाई - झगड़ा , नफरत को 
ज्यादा महत्व दिया जाता हैं। 
10/4/24
⏰3:15 p. m. 
@ubaidakhatoon✍️

©Ubaida khatoon Siddiqui #worldpostday #Ubaidakhatoon #ubaidawrites #Thoughts

Punnu

#worldpostday

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जिसकी ज़िन्दगी 
में जिस चीज़ 
की कमी सबसे 
ज़्यादा होती है....
वो उसी 
के बारे में 
सबसे ज़्यादा 
बोलना..पढ़ना
और लिखना 
पसन्द करता है

©Punnu #worldpostday

Vikas Gupta

#worldpostday

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वैसे इन प्रश्नो पर बड़ी उम्र मे ही विचार करना चाहिए
जो कि बात खुल चुकी है एक बार ज़रूर इसपर विचार करना चाहिए

सहकार भावना क्या है? 
एक आवाज उठी यह काम है
तुरंत दूसरी आवाज आई, लो मै भी आ गया
सहकार भावना इसी का रूप है
काम मे हाथ बँटाकर अधूरा काम पूरा करा गया

शरीर के अंग अपना काम करकर पेट तक पहुँचाते है
पेट अपना काम करकर शरीर के अंगो तक पहुंचाता है
ये सहकार भावना है जिसके कारण ये एक दूसरे को जीवित रख पाते है
अन्यथा इन सबको अपना दम तोड़ना पड़ जाता है

पहली आवाज लगाए कौन? 
पहली आवाज उसकी हो जो देखे या समझे यह काम है
वही बने नेता उसके बाद आये सब मेहमान है

आवाज लगाने पर कोई न आये तो? 
पहली आवाज जिसकी हो पहला हाथ और पहला कदम भी वो उठाए
मेरा मतलब वो काम प्रारम्भ करे और करता ही चला जाए

अगर आप दूसरों की आवाज पर कान बंद कर लेते हो
काम को देखकर आँखे बंद कर लेते हो
तो आप उस राजा के वंशज हो जो बलवान कहा जाता था
और अपनी नगरी को जलते देख बंशी बजाता  था

याद रखिये सहकार कोई अहसान नही है
इसके बिना आपका कुछ भी मान नही है
सहकार का स्वरूप है मै ही सबकुछ नही 
असहकार का स्वरूप मुझे किसी की जरूरत नही

अगर आपको लगता है की मेरा ये प्रश्न फालतू है
तो आप एक पशु है जिसका जीवन कुछ भी नही है
क्युकी सहकार के सिवाय हमारा जीवन और है ही क्या? 
सहकार के बिना हमारा जीवन कुछ भी नही है


–Vikas Gupta

©Vikas Gupta #worldpostday

Vikas Gupta

#worldpostday

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मेरे दिल की बात ये है कि, तुम्हारे दिल मे मेरे लिए जगह कही है
पर दुख की बात ये है की, दिल की बातें हमेशा ही मेरी गलत रही है

मै देखता हूँ ऐसे सपने, जिसमे हम एक दूजे के हो चुके है
पर दुख की बात ये है कि, हकीकत मेरी अभी भी वही है

मन बनाता हूँ मै, तुम्हे बोलने के लिए अपनी मन की बात
पर दुख की बात ये है कि, मुझे पता नही बोलने की कौनसी तरकीब सही है

मेरे अधर मौन है, पर शब्द मेरे लिखावट बोल रहे है
पर दुख की बात ये है कि, अभी तक तुम्हें पता भी नही है

न जाने ऐसी कितनी बातें मैंने लिखी है
पर दुख की बात ये है कि, सामने से अपनी बात मैंने  अभी तक कही नही है
दुख की बात ये है की, मेरी बात अभी भी वही की वही है

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta #worldpostday

R.S.Meghwal

#R.S.Meghwal #worldpostday

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आप जो करना चाहते हैं . . .
वो  जरूर  करिये  यह  मत 
सोचिये की लोग क्या कहेंगे ,
क्योंकि लोग तो तब भी कहेंगे
जब आप कुछ भी नहीं करेगे

©R.S.Meghwal #R.S.Meghwal
#worldpostday

Vikas Gupta

#worldpostday

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आप कैसे समझेंगे उस रिश्ते को
जिस रिश्ते मे प्रेमी ही भक्षक हो
जहाँ विश्वाश नग्न होकर नतमस्तक हो
जहाँ प्रेमी ही प्रेमिका का भक्षक हो

आप कहेंगे इसमे क्या बात है
ये बलात्कार नही आपसी सह संबंधी की बात है
पर बात है इसमे बहुत बड़ी
क्योकि लड़की थी न के साथ खड़ी

लड़की ने साफ साफ शब्दों मे मना किया 
इसके बावजूद लड़के ने अपना मन बना लिया
आखिर उसने दिखा दिया वो क्या कर सकता है
एक बलात्कारी आखिर बलात्कार ही कर सकता है

अब वो लड़की किसी को क्या बताएगी
कि किसने उसका बलात्कार किया है
उसने जिसका हाथ पकड़कर वो घुमा करती थी
जिसके बारे मे वो दूसरों से प्यारे शब्द बयां करती थी

बलात्कार का प्रकार नही होता है
बलात्कार, बलात्कार होता है
वो अजनबी करे या फिर प्रेमी
हर कोई सजा का हकदार होता है

जब कोई आम बलात्कार सुनाई पड़ता है कानों मे
हम दौड़ पड़ते है साथ खड़े होने के लिए अपने मकानों से
ऐसी स्थिति को भी समझे आप 
आगे बढे और साथ खड़े रहे ऐसे लोगो के साथ

हम समझते क्यों नही की उसका प्रेमी बन जाने से
उसके साथ घूमने फिरने समय बिताने से 
उसके स्वामीत्व पर हमारा अधिकार नही होता
उसके न बोलने पर भी आप न सुने ये प्यार नही होता

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta #worldpostday

कृतान्त अनन्त नीरज...

#worldpostday lovenojotolife#beingoriginal

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