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ना वैसे दिन रहे ना वैसी रात रही ना वैसे लोग रहे

ना वैसे दिन रहे
ना वैसी रात रही 
ना वैसे लोग रहे 
ना वैसी बात रही
फिरभी जो है पास मे
उसे बचाया जाए 
जो बिखर गया है 
उसे सजाया जाए 
गिर गये किसी मोड़ पर
तो अगले मोड़ पर सम्भलना भी है
कड़ी धूप है
जख्म है
वक़्त भी खिलाफ़ है
फिरभी आखिर जिन्दगी है ये
इसलिए चलना भी है

आशीष त्रिपाठी 
से 5 भिलाई #worldpostday
ना वैसे दिन रहे
ना वैसी रात रही 
ना वैसे लोग रहे 
ना वैसी बात रही
फिरभी जो है पास मे
उसे बचाया जाए 
जो बिखर गया है 
उसे सजाया जाए 
गिर गये किसी मोड़ पर
तो अगले मोड़ पर सम्भलना भी है
कड़ी धूप है
जख्म है
वक़्त भी खिलाफ़ है
फिरभी आखिर जिन्दगी है ये
इसलिए चलना भी है

आशीष त्रिपाठी 
से 5 भिलाई #worldpostday