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दर्द की बस्ती में उसे, हँसते हुए देखा है म

दर्द      की बस्ती में   उसे, हँसते हुए देखा  है
मकड़ी  को  अपने जाल में फंसते हुए देखा  है

महफिलों में हंसी बिखरते रहे जो ताउम्र 
उनको तनहाई में ,सिसकते हुए देखा  है

©Kamlesh Kandpal
  #bechaini