मैंने देखा है अपनी रूह को यूँ कसमसाते हुए, सिर्फ़ दिखावे के लिए नकली रावण जलाते हुए, जब आस पास इतने राक्षस खुले फिरते हों, जिन्हें शर्म नहीं आती दरिंदगी दिखाते हुए, हाँ थे राम मर्यादा पुरुषोत्तम, पर लंका नरेश भी ब्रह्मज्ञानी थे, वरना कौन देता है दुश्मन को ज्ञान, मृत्यु शैय्या पे जाते हुए, बस करो यूँ ख़ुद को तसल्ली देना, ग्लानि नहीं होती तुम्हें यूँ अधूरा दशहरा मनाते हुए, कई हैं लंका आज, ना जाने कितने कंस हैं, मेरा देश जलाने को निकाले हुए दंश हैं, पर मैं लिखता रहूँगा, ज़हर भरे शब्दों के बाण, ज़ुल्म पे कई बार मैंने देखा है इन्हें तांडव ढाते हुए। #shayari #tej #roadsihavetraveled #inspiration #truth #love #ram #ravan