धन, जन, सम्पत्ति सब कुछ तो चला गया जाते-जाते ही मेरा आशियाना भी जला गया, बड़ी क़ीमत चुकाई है हमने किसी के नादानी से वो रहनुमा बनकर बैठे हैं ख़ुद के मेहरबानी से, फिज़ा-ए-चमन को कुछ इस कदर कर गया गंगा - यमुनी तहज़ीब में नामुराद ज़हर भर गया, 'मधुकर' दिल रो रहा पर अश्क नज़र नहीं आते हैं कत्ल भी करते हैं और ख़ुद को बेकसूर बताते हैं। बड़ी क़ीमत चुकाई मगर दुनिया हमें फिर भी न रास आई। #क़ीमत #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #_मधुकर