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चली आया करो, ओनलाइन कहाँ गुम रहती हो। जैसे दिन के

चली आया करो,
ओनलाइन कहाँ गुम रहती हो।
जैसे
दिन के लिए सूरज और रात के लिए चांदनी

कितनी बार कहें,
मेरी शायरियों का किरदार हो तुम ..!!

हां जैसा लोग कहते हैं,
शायद तुम्ही मेरा प्यार हो तुम।।

©Prem_pyare
  #tereliye #प्रेम_पर_चिंतन