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बार बार प्रकृति ने चेताया था। लेकिन इंसान को कहां

बार बार प्रकृति ने चेताया था।
लेकिन इंसान को कहां समझ आया था।
की जो उसने छेड़खानी थी।
आखिरकार सजा तो उसको पानी थी।
वृक्ष बचाओ महज एक नारा था।
ऑक्सीजन की कमी से ये हमें समझाना था।
अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है इस पर तुम विचार करो।
पेड़ पौधे लगाओ फिर से प्रकृति का श्रृंगार करो। #save_trees #nature #thinking #save #geetesh_poetry #geetesh #inspiration #life
बार बार प्रकृति ने चेताया था।
लेकिन इंसान को कहां समझ आया था।
की जो उसने छेड़खानी थी।
आखिरकार सजा तो उसको पानी थी।
वृक्ष बचाओ महज एक नारा था।
ऑक्सीजन की कमी से ये हमें समझाना था।
अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है इस पर तुम विचार करो।
पेड़ पौधे लगाओ फिर से प्रकृति का श्रृंगार करो। #save_trees #nature #thinking #save #geetesh_poetry #geetesh #inspiration #life