मैं जब कमाने लगा, पैसों की कीमत समझने लगा, आमदनी एक अंक नज़र आने लगा। (कैप्शन में पढ़ें) मैं जब कमाने लगा, पैसों की कीमत समझने लगा, आमदनी एक अंक नज़र आने लगा। मग़र समझ न पाया, उस अंक की कीमत, जिसमें मैं बड़ा हुआ, और उस अंक का हिसाब भी मैं लगाने लगा।