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मनुष्य भुल गया वह शिष्य हैं नर नहीं वो नेपथ्य है म

मनुष्य भुल गया वह शिष्य हैं
नर नहीं वो नेपथ्य है
मादा नहीं वो पथ्य है
सत्य नहीं वो असत्य है
औषधि नहीं वो आसध्य है।

     खो जाता मनुज का मन
     पा जाता दनुज का तन
    सो जाता  लहू और मन
    प्यासा ही रह जाता तन-मन 
    रह जाता बस कफ़न - कफ़न।


    नारी ने जन्म दिया,
    पौरूष ने कर्म दिया
    नारी ने शिक्षा दिया
    पौरुष ने स्वेच्छा दिया
    मां ने सतत सदिच्छा दिया।।

    नारी ने सहन शक्ति दी
    पौरुष ने गहन भक्ति दी
    नारी ने उठना सिखाया
    पौरुष ने गिरने से बचाया
    दोनों की श्रेणी अपरंपार।।

    नमस्कार नमस्कार नमस्कार नर-नारी
मनुष्य भुल गया वह शिष्य हैं
नर नहीं वो नेपथ्य है
मादा नहीं वो पथ्य है
सत्य नहीं वो असत्य है
औषधि नहीं वो आसध्य है।

     खो जाता मनुज का मन
     पा जाता दनुज का तन
    सो जाता  लहू और मन
    प्यासा ही रह जाता तन-मन 
    रह जाता बस कफ़न - कफ़न।


    नारी ने जन्म दिया,
    पौरूष ने कर्म दिया
    नारी ने शिक्षा दिया
    पौरुष ने स्वेच्छा दिया
    मां ने सतत सदिच्छा दिया।।

    नारी ने सहन शक्ति दी
    पौरुष ने गहन भक्ति दी
    नारी ने उठना सिखाया
    पौरुष ने गिरने से बचाया
    दोनों की श्रेणी अपरंपार।।

    नमस्कार नमस्कार नमस्कार नर-नारी