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न नींद आई बस करबटें बदलता रहा थे सामने वो मंजर जो

न नींद आई
बस करबटें बदलता रहा
थे सामने वो मंजर
जो ज़ेहन में खंजर
वार करता रहा

बिखरे थे को टुकड़े
कहीं वीराने में
उठाकर कर हर एक
को वो अक्स को ढूंढता रहा

©Jyoti Prakash
  #RaatBhar #Jyotiprakash  #Hindi