बड़ा हीं शातिर है मेहबूब मेरा हर काम सोच समझकर अंज़ाम देता है कहीं मेरे बाद सब ना पहचान ले नियत उनकी इसलिए मासूमियत का मुखौटा हरवक्त अपने पास रखता है राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी मुखौटे