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चाँद भी छुप जाता हैं बादलों में कई बार यारा कैसे क

चाँद भी छुप जाता हैं बादलों में कई बार
यारा कैसे कर लें हम उस पर भी ऐतबार।

चौदह दिन इतरा के चमके आसमान पर
अमावस की रातों में वह भी जाता हार।

चाँद सा मुखड़ा भी अब कोई ना चाहेगा
इंसान ने ढूढ़ लिए उस पर खड्डे हजार।

©Kamlesh Kandpal
  #MoonHiding