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आओं दीपों से दीपोत्सव..हम मनाते है, आओं खुशियों स

आओं दीपों से दीपोत्सव..हम मनाते है, 
आओं खुशियों से दीप-बाती..हम जलाते है,
भारत भव्य भूमि पावन पर्वो का देश प्यारा.. 
आओं इस दिवाली हम..हर घर जगमगाते है।

आओं धनतेरस को संपदा..हम बढ़ाते है, 
आओ संपदा के शुभ आयाम..हम बनाते है, 
भारत भू से कब का भाग गया है अंधियारा.. 
आओं इस दिवाली हम..भय भ्रम भगाते है।

आओं रूप चौदस को अपना..मन सजाते है, 
आओं वो सारी कड़वी बात..हम भुलाते है, 
भारत में नित गूंजे 'अतिथि देवो भवः' नारा.. 
आओं इस दिवाली हम..नई ज्योत जलाते है।

आओं घर में कोई मिठाई.. हम बनाते है, 
कुछ खाते है कुछ औरों को..हम खिलाते है,
भव्य भूमि भारत पावन पर्वो का देश प्यारा.. 
आओं इस दिवाली हम..हर घर जगमगाते है।

©Anand Dadhich #Diwali #दिवाली_पर_कविता #kaviananddadhich #poetananddadhich #hindipoetry #poemsondiwali
आओं दीपों से दीपोत्सव..हम मनाते है, 
आओं खुशियों से दीप-बाती..हम जलाते है,
भारत भव्य भूमि पावन पर्वो का देश प्यारा.. 
आओं इस दिवाली हम..हर घर जगमगाते है।

आओं धनतेरस को संपदा..हम बढ़ाते है, 
आओ संपदा के शुभ आयाम..हम बनाते है, 
भारत भू से कब का भाग गया है अंधियारा.. 
आओं इस दिवाली हम..भय भ्रम भगाते है।

आओं रूप चौदस को अपना..मन सजाते है, 
आओं वो सारी कड़वी बात..हम भुलाते है, 
भारत में नित गूंजे 'अतिथि देवो भवः' नारा.. 
आओं इस दिवाली हम..नई ज्योत जलाते है।

आओं घर में कोई मिठाई.. हम बनाते है, 
कुछ खाते है कुछ औरों को..हम खिलाते है,
भव्य भूमि भारत पावन पर्वो का देश प्यारा.. 
आओं इस दिवाली हम..हर घर जगमगाते है।

©Anand Dadhich #Diwali #दिवाली_पर_कविता #kaviananddadhich #poetananddadhich #hindipoetry #poemsondiwali