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शायद कहीं तो टकराऊंगी.. कब ,कहां, कैसे नहीं मालूम.

शायद कहीं तो टकराऊंगी..
कब ,कहां, कैसे नहीं मालूम...
पिछले  इकत्तीस वर्षों से वो हंसी तुम्हारी,
सहेज रखी है..
 सुनों शायद याद हो तुम्हें मेरा नाम ,
 जिसको तुम कहती थी अनोखा, और मेरी आंखों 
 में उभर आती थी अनोखी चमक...
मुड़ी , तुड़ी सी यादें हैं ,
जो मानस पटल पर छपी पड़ी है,
 ड़र है कहीं विलीन न हो जाये,
और रह जाये एक आस अधूरी...
  कहीं तो टकरा जाओ ,
सुना है दुनिया गोल है ....
 #यूंही
#गोलदुनिया 
#योरकोट
शायद कहीं तो टकराऊंगी..
कब ,कहां, कैसे नहीं मालूम...
पिछले  इकत्तीस वर्षों से वो हंसी तुम्हारी,
सहेज रखी है..
 सुनों शायद याद हो तुम्हें मेरा नाम ,
 जिसको तुम कहती थी अनोखा, और मेरी आंखों 
 में उभर आती थी अनोखी चमक...
मुड़ी , तुड़ी सी यादें हैं ,
जो मानस पटल पर छपी पड़ी है,
 ड़र है कहीं विलीन न हो जाये,
और रह जाये एक आस अधूरी...
  कहीं तो टकरा जाओ ,
सुना है दुनिया गोल है ....
 #यूंही
#गोलदुनिया 
#योरकोट