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नीर _नादान
तुमसे कहना था, कि चंद सवाल थे, जवाब दोगे क्या ? तुमसे कहना था, कि पढ़ना था तुम्हारे दिल को, अपने चेहरे की किताब दोगे क्या ? तुमसे कहना था, कि, यूंही इश्क़ में बेहोश रहते हो, तो पूछा कि, उस आगोश से निकल कर, उस नशे में होश लोगे क्या ? तुमसे कहना था, कि सफ़र बड़ा लम्बा सा है, मुश्किल तो आसान लग भी जाएगी, पर आसान रास्तों पर जब भटकेंगे कदम, संभाल लोगे क्या ? तुमसे कहना था, कि हर बात शब्दों में पिरो पाना मुझे शायद नहीं आता, मेरी ख़ामोशी में भीगे गीत सुनोगे क्या ? तुमसे कहना था, कि बस एक सवाल है, अधूरी कहानी लिख दी अगर, पूरी कर दोगे क्या ? ©नीर _नादान #Barsaat #मेरी_कलम_से #यूंही
Dr Vijendra Vishal
कभी - कभी , यूं ही... कभी -कभी, यूं ही... मन सारे जोड़ घटाव परे रख श्रांत भाव से तटस्थ हो जाता है, कोई आशा निराशा या प्रत्याशा नहीं होता। रहता है तो बस एक शिथिल मन कहीं ठहरा हुआ । भीतर के सारे कलोल करते , हिलोर मारते भाव दरिया के गहराई पाने जैसा शांत बहने लगता है न कोई उठाव न कहीं दबाव..। लेखन की मन: स्थिति हर क्षण एक रुपता लिए अग्रेषित हो कदापि जरूरी नहीं, लेखनी की तीव्रता किसी विशेष क्षण के लिए प्रतिबद्ध होती है जहां पर गति वश में नहीं होती,रहती है तो बस पैनी दृष्टि लिए अंतर की अंतिम पड़ाव पर मोती या कीमती रत्न की खोज में जिसे अपने समीप पा हम अकस्मात ही भावविभोर हो जाते हैं या खुद भी प्रयास रत कि शायद हम भी कुछ ऐसा करामात कर पाएं। सफल होना,न होना अलग बात है। अभी कुछ दिनों से लेखनी मनःस्थिति बदलने की बाट में खुद से दूर है शायद उस तैयारी में जहां छलांग से पहले चार कदम पीछे हट जाना होता है और यदि यह सच है तो निश्चित ही कुछ और अच्छी रचना पढ़ने मिलेगी अन्यथा एक कलमकार हारा थका कल्पना से दूर चुनौतियों से बिना संघर्ष किए किसी सामान्य मनुष्य की भांति जीवन जिसे अपनी अपनी समझ में कहते हैं की राह में है। और यदि सच में ऐसा है तो होना नहीं चाहिए,आग खुद के अंदर की जलाना होगा, उतार कर लाना होगा रंगीन इंद्रधनुषीय सतरंगी सपने, आशाओं से भरे कल की दुनिया , हौसला जिससे पत्थर पानी हो जाता है, क्योंकि कुछ लोगों का जीवन खुद के लिए नहीं होता । --डा. विजेन्द्र विशाल ©Dr Vijendra Vishal #DrVijendraVishal #Jindagi #खयाल #मन_की_बात #यूंही
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read morePrashant Shakun "कातिब"
मिलो ना मिलो रहना लेकिन मेरे हम ख़याल बनकर आये ना कभी एक भी लम्हा दरमियाँ सवाल बनकर ©Prashant Shakun "कातिब" #यूंही #एक_खयाल #प्रशांत_शकुन_कातिब #rain
#यूंही #एक_खयाल #प्रशांत_शकुन_कातिब #rain
read morePrashant Shakun "कातिब"
देखीं जो एक बार देखता ही रह गया मैं उनकी आंखें होता था कमाल जब निहारती थीं मुझे उनकी आंखें सवालों की थी फैक्ट्री कोई जैसे उन नज़रों में मैं देता जवाब करती कोई सवाल जब उनकी आंखें होंठों के ऊपर वो बाईं तरफ काला तिल पकड़ लेती थीं मुझे निहारते हर बार उनकी आंखें मैं बैठा था शांत समन्दर सा उसके सामने मिल जाती मुझसे लहराती नदी सी उनकी आंखें वो मेरे सवालों पर चेहरा छुपाना हाथों से करती थीं छुप-छुपकर इज़हार उनकी आंखें यूँ तो क़त्ल किये हैं कई उन निगाहों ने फिर भी रही हमेशा ही बा-इज़्ज़त उनकी आंखें दस मिनट की देर जो मुझे घर पहुंचने में होती वो दरवाज़े को ही निहारती बारहा उनकी आंखें लेकर हाथों में हाथ जब चूमता पेशानी उनकी शर्म से सुर्ख रुख़सार और झुक जाती उनकी आँखें झगड़े के बाद जब होती बातचीत बंद उनसे तो भी बड़े प्यार से बतियाती मुझसे उनकी आँखें ख़्वाब क़ैद हैं कई उन आँखों में कभी बताती कभी छुपाती उनकी आँखें देखता हूँ अपना पूरा जहान उन आँखों में मैं मुझे अपना पूरा जहान बताती उनकी आँखें ©Prashant Shakun "कातिब" #यूंही #आंखें #प्रशांत_शकुन_कातिब
#यूंही #आंखें #प्रशांत_शकुन_कातिब
read morefouji "Hindustani"
#यूंही मेरे मुस्कुराने की वजह बने रहना ___मेरी जिंदगी में न सही पर___ #बस तुम मेरी जिंदगी बने रहना.!! fouji dil💕 ©fouji "Hindustani" #freebird
sc_ki_sines
बचपन और उम्मीद बचपन यूंही गुजर जाए ना, इन्हें संभाल कर रखना यादे सिमट कहीं जाए ना ,इन्हें हकीकत में संजोए रखना उम्मीद से भी ज्यादा जीना, सीखा देती है बचपन की यादें एक बार जो बीत कर चला गया तो वापस नहीं हैं आते प्यारी_ प्यारी मुस्कान लिये हम कितना खेला करते थे सुबह_ शाम हम साथ चलें,और कितना खेला करते थे छोटे छोटे से खेलों में ,हम कितने मौज मानते थे उम्मीद है बस इस जीवन से ,ये बचपन यूंही बीते ना हर जिद हो पूरी बचपन की ,पर किसी बच्चे का बचपन छूटे ना। #bachpanyaadovali
Gulapsa khatoon
यूंही ना जलाया करो दीप मोहब्बत के यूंही ना गुनगुनाया करो गीत मोहब्बत के कितनी दफा मैंने खुद को बचाया है बुझने से क्यूंकि डरता है मेरा दिल शब-ए-फिराक से 💔 मोहब्बत#दीप
मोहब्बतदीप
read moreLalveer sharma
ये चांदनी रात भी हमे सताती रही नींद आते हुए भी यूंही जाती रही। यादों में यूंही रात गुजरती रही आँखे भी अब तो तड़पने लगी,आज तो ये भी बरसती रही।। #अकेलापन#