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नादान दिल.....
नीर _नादान
तुमसे कहना था, कि चंद सवाल थे, जवाब दोगे क्या ? तुमसे कहना था, कि पढ़ना था तुम्हारे दिल को, अपने चेहरे की किताब दोगे क्या ? तुमसे कहना था, कि, यूंही इश्क़ में बेहोश रहते हो, तो पूछा कि, उस आगोश से निकल कर, उस नशे में होश लोगे क्या ? तुमसे कहना था, कि सफ़र बड़ा लम्बा सा है, मुश्किल तो आसान लग भी जाएगी, पर आसान रास्तों पर जब भटकेंगे कदम, संभाल लोगे क्या ? तुमसे कहना था, कि हर बात शब्दों में पिरो पाना मुझे शायद नहीं आता, मेरी ख़ामोशी में भीगे गीत सुनोगे क्या ? तुमसे कहना था, कि बस एक सवाल है, अधूरी कहानी लिख दी अगर, पूरी कर दोगे क्या ? ©नीर _नादान #Barsaat #मेरी_कलम_से #यूंही
Ashok Mangal
अजीब सी कशिश है । थोड़ी सी रंजिश है ।। भुला न पा रहा मैं । खुशियाँ गवां रहा मैं ।। पर मुस्कुराहट कायम रहेगी इस चेहरे पर 😊❤️ Absolutely!! Collab open !!💫 Thank you for lovely pokes 😊 !! #मुस्कुराती_जिंदगी #मुस्कुराहट #ज़िंदगी_और_मैं #आसाननहींहोता #यूंही #ज़िंदगीकेहरक़दमपर
Shree
नसीब का कर्ज है.. भले कुछ भी कर लो, ख़ुशी के नाम पर.. मुस्कुरा रहा हूं तुम बिन!! पर मुस्कुराहट कायम रहेगी इस चेहरे पर 😊❤️ Absolutely!! Collab open !!💫 Thank you for lovely pokes 😊 !! #मुस्कुराती_जिंदगी #मुस्कुराहट #ज़िंदगी_और_मैं #आसाननहींहोता #यूंही #ज़िंदगीकेहरक़दमपर
Shree
चुप रहता है किसी से कुछ नहीं कहता ये मन अक्सर आसपास बदलता देखकर सोचता है। चुप रहता है बड़ी-बड़ी बातों में उलझा ये मन अक्सर अनमने मानकर समझौता कर लेता है। चुप रहता है फिर चुप्पी की वजह ढूंढता ये मन अक्सर दुनियादारी में खो, दुनिया से उचटता है। चुप रहता है किस्मत के इम्तिहान देकर थका ये मन अक्सर फैसला ना सुना कर, यूं ही मान लेता है।— % & चुप रहता है किसी से कुछ नहीं कहता ये मन अक्सर आसपास बदलता देखकर सोचता है। चुप रहता है बड़ी-बड़ी बातों में उलझा ये मन अक्सर
Narvir Singh
यूंही नही हर बात पे लिखता हूं मैं तो बस, अपने हालात पे लिखता हूं... जो सुनता है वाह वाह करता है क्या तुम को समझ आती हैं मैं जिस बात पे लिखता हूं ©Narvir Singh #यूंही नहीं हर बात पे
Dr Vijendra Vishal
कभी - कभी , यूं ही... कभी -कभी, यूं ही... मन सारे जोड़ घटाव परे रख श्रांत भाव से तटस्थ हो जाता है, कोई आशा निराशा या प्रत्याशा नहीं होता। रहता है तो बस एक शिथिल मन कहीं ठहरा हुआ । भीतर के सारे कलोल करते , हिलोर मारते भाव दरिया के गहराई पाने जैसा शांत बहने लगता है न कोई उठाव न कहीं दबाव..। लेखन की मन: स्थिति हर क्षण एक रुपता लिए अग्रेषित हो कदापि जरूरी नहीं, लेखनी की तीव्रता किसी विशेष क्षण के लिए प्रतिबद्ध होती है जहां पर गति वश में नहीं होती,रहती है तो बस पैनी दृष्टि लिए अंतर की अंतिम पड़ाव पर मोती या कीमती रत्न की खोज में जिसे अपने समीप पा हम अकस्मात ही भावविभोर हो जाते हैं या खुद भी प्रयास रत कि शायद हम भी कुछ ऐसा करामात कर पाएं। सफल होना,न होना अलग बात है। अभी कुछ दिनों से लेखनी मनःस्थिति बदलने की बाट में खुद से दूर है शायद उस तैयारी में जहां छलांग से पहले चार कदम पीछे हट जाना होता है और यदि यह सच है तो निश्चित ही कुछ और अच्छी रचना पढ़ने मिलेगी अन्यथा एक कलमकार हारा थका कल्पना से दूर चुनौतियों से बिना संघर्ष किए किसी सामान्य मनुष्य की भांति जीवन जिसे अपनी अपनी समझ में कहते हैं की राह में है। और यदि सच में ऐसा है तो होना नहीं चाहिए,आग खुद के अंदर की जलाना होगा, उतार कर लाना होगा रंगीन इंद्रधनुषीय सतरंगी सपने, आशाओं से भरे कल की दुनिया , हौसला जिससे पत्थर पानी हो जाता है, क्योंकि कुछ लोगों का जीवन खुद के लिए नहीं होता । --डा. विजेन्द्र विशाल ©Dr Vijendra Vishal #DrVijendraVishal #Jindagi #खयाल #मन_की_बात #यूंही
Official Bhole
चलो खेलें वही बाजी जो पुराना खेल है तेरा, तू फिर से बेवफाई करना मैं फिर आँसू बहाऊंगा। ©Official Bhole #यूंही
Anamika
चुप्पी पहले धीरे से खटखटाती जाती है, और फिर बहरा गूंगा कर एक फीकी मुस्कान छोड़ जाती है... गति कितनी स्पीड से जायेगी नहीं मालूम.. बस इतना हो कि खुद के भीतर झांकने पे डर न लगे.. और अंत में ढांढस बंधाते हुए आंखों से कहीं बाढ़ में तैरते हुए चीथड़े न बहते दिखे.. #खालीदिमागकीउपज दिमागी थकन सोख लेती सुकुन.. #यूंही