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ये वही पत्थर है ,

ये वही पत्थर है ,                                                                अड़ जाता था हर वक्त                                                       आज रास्ता साफ नजर आ रहा था                                      सोच कर मैं आराम से निकला जा रहा था                      मुस्कुराता हुआ थोड़ी दूर ही चला था ,                                   कि वही पत्थर मेरे समक्ष खड़ा था,                                        मन में सहसा एक प्रश्न उठा?                                                क्या पत्थरों से ठोकरें खाते रहना ही जिंदगी है,                   सोचा! आज इसे ना मारूंगा,                                            बच जाऊंगा खुद भी  और इसे भी बचाऊगा।                    मगर हाय रे पत्थर के किस्मत                                                हर पल ठोकरें खाने की ताक में रहता है                            रास्ते में फिर अड़ कर खड़ा हो जाता है j                             दशा पर इसकी तरस भी आता है                                     नादानी भरी हरकत को ठोकर नहीं मारूंगा मैं उस पथ से स्वयं हट जाऊंगा ।                                                               भगवान इतनी शक्ति देना भला करूं सबका मेरे ह्रदय की झोपड़ी में सम्मान रहे सबका।
ये वही पत्थर है ,                                                                अड़ जाता था हर वक्त                                                       आज रास्ता साफ नजर आ रहा था                                      सोच कर मैं आराम से निकला जा रहा था                      मुस्कुराता हुआ थोड़ी दूर ही चला था ,                                   कि वही पत्थर मेरे समक्ष खड़ा था,                                        मन में सहसा एक प्रश्न उठा?                                                क्या पत्थरों से ठोकरें खाते रहना ही जिंदगी है,                   सोचा! आज इसे ना मारूंगा,                                            बच जाऊंगा खुद भी  और इसे भी बचाऊगा।                    मगर हाय रे पत्थर के किस्मत                                                हर पल ठोकरें खाने की ताक में रहता है                            रास्ते में फिर अड़ कर खड़ा हो जाता है j                             दशा पर इसकी तरस भी आता है                                     नादानी भरी हरकत को ठोकर नहीं मारूंगा मैं उस पथ से स्वयं हट जाऊंगा ।                                                               भगवान इतनी शक्ति देना भला करूं सबका मेरे ह्रदय की झोपड़ी में सम्मान रहे सबका।
anitakakran8880

Anita Kakran

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