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काँच सा नाज़ुक दिल था मेरा जरा सी मौहब्बत में चोट

काँच सा नाज़ुक दिल था मेरा 
जरा सी मौहब्बत में चोट लगी तो किरचा-किरचा कर बिखर गया किरचा मीन्स महीन छोटे छोटे टुकड़े
काँच सा नाज़ुक दिल था मेरा 
जरा सी मौहब्बत में चोट लगी तो किरचा-किरचा कर बिखर गया किरचा मीन्स महीन छोटे छोटे टुकड़े

किरचा मीन्स महीन छोटे छोटे टुकड़े #शायरी