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। दूरियां । न पूछिए ये दूरियां क्या-क्या एहसास जग

। दूरियां ।

न पूछिए ये दूरियां क्या-क्या एहसास जगाती है ?

कभी आंखें नम तो कभी दिलों की धड़कन बढ़ा जाती हैं 
तेजी से दिल धड़कता है मिलने की आस उमड़ आती हैं 
न पूछिए ये दूरियां क्या-क्या एहसास जगाती है ?

अपनों को देखने की ललक मन में पीड़ा बढ़ाती हैं
कब होगा मिलन सोच सोच तारीखें गिनवाती  है
न पूछिए ये दूरियां क्या-क्या एहसास जगाती है ?


कीमत अपनों की समझ आ जाती है
मिलन को बेबस राहें अटकले लगाती है
कभी छुट्टियां तो कभी अजीब परेशानी आ जाती है
ना पूछिए ये दूरियां क्या-क्या एहसास जगाती है ?

©kanchan Yadav
  #दूरीयां