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मुझे अब निंद की तालाश नही अब रातों को जागना अच्छा

मुझे अब निंद की तालाश नही 
अब रातों को जागना अच्छा लगता है 
मुझे नही मालूम की वो मेरी किस्मत मे  
है य़ा नही मगर खुदा से उसे मांगना अच्छा लगता है 
जाने मुझे हक़ है या नही पर उसकी 
अपनी जान  से  जयदा परवाह करना अच्छा लगता है 
उससे प्यार करना सही है य़ा नही पर 
इस एहसास को जीना अच्छा लगता है 
कभी हम साथ होंगे या नही पर 
ये ख्वाब देखना अच्छा लगता है 
दिल को बेहलाया बहुत बार पर 
ये मानता नही श्याद इसको  भी
 उसके लिए धाड़कना अच्छा लगता है ...

art  by 
.............dil kumar

©Dilip Kumar # रातों को जागना
मुझे अब निंद की तालाश नही 
अब रातों को जागना अच्छा लगता है 
मुझे नही मालूम की वो मेरी किस्मत मे  
है य़ा नही मगर खुदा से उसे मांगना अच्छा लगता है 
जाने मुझे हक़ है या नही पर उसकी 
अपनी जान  से  जयदा परवाह करना अच्छा लगता है 
उससे प्यार करना सही है य़ा नही पर 
इस एहसास को जीना अच्छा लगता है 
कभी हम साथ होंगे या नही पर 
ये ख्वाब देखना अच्छा लगता है 
दिल को बेहलाया बहुत बार पर 
ये मानता नही श्याद इसको  भी
 उसके लिए धाड़कना अच्छा लगता है ...

art  by 
.............dil kumar

©Dilip Kumar # रातों को जागना
dilipkumar1036

Dilip Kumar

New Creator

# रातों को जागना #शायरी