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जब आसपास भावनाओं की रिक्तता थी, मैंने अपने शिशुओं

जब आसपास भावनाओं की रिक्तता थी,
मैंने अपने शिशुओं का आलिंगन किया।

मैंने,मातृत्व की गोद में
वात्सल्य का अभिनंदन किया।

बुनियाद रखी प्रेम की मैंने
आहिस्ते आहिस्ते,

अपने बच्चों की रक्त वाहिनी में
संस्कारों का वंदन किया।

जहां समय का अभाव रहा
वहां अपनत्व का भाव जगाया,

मैंने धन का अर्जन कम किया
अपने अपनों का पूजन किया।

हर्षा मिश्रा

©harsha mishra
  #Wochaand #मनु