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---किस्सा-ए-वतन--- दरिया में बहता हो खून जैसे वत

---किस्सा-ए-वतन---

दरिया में बहता हो खून जैसे 
वतन दोज़ख बनते देखूं कैसे?

गजले प्यार की लिखता मैं भी
पर सोमनाथ को लुटते देखूं कैसे?

---किस्सा-ए-वतन--- दरिया में बहता हो खून जैसे वतन दोज़ख बनते देखूं कैसे? गजले प्यार की लिखता मैं भी पर सोमनाथ को लुटते देखूं कैसे?

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