मोहब्बतो की दुनिया मोहब्बतो का शहर हर कोई देखता है । शाम-ओ-सहर दस्तान -ऐ- मुमताज़ दस्तान-ऐ-मोहब्बत की हक़ीक़त जानता है । देखता है । आकर शहर इस शहर मे इस महल मे हम मिले न मिले पर मिलता है । उन्को मोहब्बतो का शहर ताज महल....ताज महल बनाया जिस तरह मेने तुम्हारे लिए काश । वो भी बनाये इक ऐसा ताज महल ताजमहल.....ताजमहल याद करे हर कोई मोहब्बतो को तेरे नाम से पज़ मुर्दा दिल भी ख़िले देखकर तेरे नाम से तोहफ़े मे जान से पहले इसका दीदार करे ओर लोग कहे नही देखा हमने ऐसा महल ताजमहल.....ताजमहल कुव्वत-ऐ-इश्क़ की स्याही से "ज़ुबैर" लिखा गया ताजमहल.....ताजमहल लफ्ज़-ऐ-अयाँ करके कहता है । "ज़ुबैर" ताजमहल......ताजमहल ©SZUBAIR KHAN KHAN TAJMAHAL TAJMAHAL WRITER - ZUBAIR KHAN