सुबह और हम तुम, कुछ एक जैसे ही लगते है, तेरा चेहरा देखने को हम भी उस रात की तरह ही तरसते है, हम भी सुबह की तरह ही हर रोज अपने समय से निकलते है, अपनी अपनी राह पर तन्हा ही चलते है, उतना ही फासला हम मे भी है, जितना सुबह और शाम की गर्दिश मे है, सुबह को तो पता भी है कि शाम का आना तय है, हमे तो खबर भी नही तुम मिलोगे भी इस राह पे कभी, हम तुम भी सुबह की तरह हर रोज गैरो को एक नई उम्मीद दे जाते है, कभी अपना दिल बहलाने को तो कभी किसी और का दर्द कम करने को कुछ नया हर रोज लिख जाते है, पर किसी ने सोचा ही नही जो सुबह की किरणें तुझे मीठी सी धूप और उम्मीदे दे जाती है, वो भी किसी का इंतजार कर के तोपहर तक तप ही जाती है, अगर तूने भी किसी को साथी चुन लिया हो तो मत कभी मत मिलना मुझे, मुझे इंतजार ही सच्चा लगता है, तुझे जानती तो बता पाती मै, मुझे सुबह की तरह रहना ही अच्छा लगता है, मै मिलना ही नही चाहूंगी उस शाम से कभी, जिसकी नजरो मे मुझे किसी और का अश्क दिख सकता है, काश मै ढूंढ पाती उसे, जो हर सुबह की तरह मेरा इंतजार करता है, #harsubah