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कुछ जाने में कुछ अनजाने में, लोग हारे नहीं मेरी ना

कुछ जाने में कुछ अनजाने में,
लोग हारे नहीं मेरी नाकामी याद दिलाने में। 
ये रोज़ उठता नया दर्द भी न हारा,
बढ़ती उम्र बतलाने में।
हटता नहीं है पीछे कोई भी,
नीचा मुझे दिखलाने में।
लड़का भटक गया हैं रस्ता,
उसके गम को भुलाने में।
फिर भी सब पूछते सबब,
क्यूँ बीतती रात मयखाने में।

©नमन द्विवेदी (कमान)
  #Life #Jindagi #Ladka