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दिन भर की थकान के बाद, जब शाम को घर आता हूँ, अपनों

दिन भर की थकान के बाद, जब शाम को घर आता हूँ,
अपनों के संग बैठ चाय की चुस्की ले, समय बिताता हूँ।

कुछ  कहता हूँ,  कुछ  सुनता हूँ,  हँसी ठिठोली  करता हूँ,
सारी थकान दूर हो जाती, फिर से तरो ताजा हो जाता हूँ।

छोटा सा परिवार हमारा, आपस में प्यार बेशुमार रहता है,
शाम को चाय की चुस्की का, सभी को इंतजार रहता है। साँझ की बेला 

दिन भर की थकान को दूर करने के लिए साँझ के कुछ पल अपनों के साथ बिताने पर पूरी थकान इस कदर दूर होती है मानो नव चेतना का संचार हो गया हो... कुछ पल कुदरत की बाहों में बिता कर मन को जो प्रसन्न्ता मिलती है उसका वर्णन करना मुश्किल तो है पर असंभव भी नहीं तो फिर अपने शब्दों में उस पल की प्रसन्नता को व्यक्त करने  का प्रयास करते हैं। इस मनोरम चित्र के माध्यम से  collab कर अपने  मन के भावों को लिखतें हैं ....

#अभिव्यक्ति_challangeसाँझकीबेला 

विशेष-:
1) रचना व्यक्तिगत होनी चाहिए।
दिन भर की थकान के बाद, जब शाम को घर आता हूँ,
अपनों के संग बैठ चाय की चुस्की ले, समय बिताता हूँ।

कुछ  कहता हूँ,  कुछ  सुनता हूँ,  हँसी ठिठोली  करता हूँ,
सारी थकान दूर हो जाती, फिर से तरो ताजा हो जाता हूँ।

छोटा सा परिवार हमारा, आपस में प्यार बेशुमार रहता है,
शाम को चाय की चुस्की का, सभी को इंतजार रहता है। साँझ की बेला 

दिन भर की थकान को दूर करने के लिए साँझ के कुछ पल अपनों के साथ बिताने पर पूरी थकान इस कदर दूर होती है मानो नव चेतना का संचार हो गया हो... कुछ पल कुदरत की बाहों में बिता कर मन को जो प्रसन्न्ता मिलती है उसका वर्णन करना मुश्किल तो है पर असंभव भी नहीं तो फिर अपने शब्दों में उस पल की प्रसन्नता को व्यक्त करने  का प्रयास करते हैं। इस मनोरम चित्र के माध्यम से  collab कर अपने  मन के भावों को लिखतें हैं ....

#अभिव्यक्ति_challangeसाँझकीबेला 

विशेष-:
1) रचना व्यक्तिगत होनी चाहिए।