डॉक्टर्स मृत्यु अटल है तो क्या हम सब हारें जीवन दर्शन ? भीति विदारक मंतव्यों से रचते जाएँ साधन ? समय लिखेगा आमुख जब इस विपदा की लेखा का- डर लगता है कहीं ऋचासुत बनें नहीं कटु प्रहसन ? ऐसे में पर - दुख से कातर प्रथम पंक्ति जो आये- धन्य चिकित्सक वर्ग महामारी के बनते रोधक । भुञ्जीथा त्यक्तेन सूक्ति के तुम्ही अटल उद्बोधक । ©anand गीतांश #DearDoctors