गिरता हूँ मैं, उठता हूँ मैं, कुछ कदम चल कर ,सम्भलता हूँ मैं, भटके और बिछड़े हुए लोगो को , सही राह दिखता हूँ मैं, खोया हुआ आत्मविस्वास फिर से उनमें जगाता हूँ मैं, जीवन की सच्चाईयां लोगो को बताता हूँ मैं, कुछ पल अपनी ज़िन्दगी की उन लोगो मैं लुटाता हूँ मैं, रूठे हुए लोगो के चेहरे पे, एक छोटी सी मुस्कान छोड़ जाता हूँ मैं गिरता हूँ मैं ,उठता हूँ मैं कुछ कदम चल कर संभलता हूँ मैं। अनुकरण गिरता हूँ मैं, उठता हूँ मैं।