तुझे चाहत कहूँ, या सुकूँ मेरा, दवा हाल-ए-दिल कहूँ, या, यकीं मेरा...!! मंज़िल कहूँ तुझे, या हमसफ़र मेरा, साहिल कहूँ, या किनारा मेरा, मुकम्मल जहाँ, या अधूरा ख़ुदा मेरा, सवाल ये हैं,आख़िर तू है क्या मेरा...!! कभी सवाल बनकर,तो कभी जवाब मेरा, अंधेरों में ना सही, उजालों में तो पहचान चेहरा मेरा, तुझे अपना जानते हैं, तो हक़ जताते हैं, ये साझा घर है अकेला रिहाईश नहीं मेरा...!! मेरी हरकतों से मेरी हदों मापते हो, यक़ीनन अतीत ग़लत पढ़ा है मेरा, ये तपस ये बदहवासी, सब बेबुनियाद है, दरअसल, वक़्त ख़राब है मेरा...!! अब सुन, बोहोत हुआ, इसे इधर छोड़ते हैं, ऐसे हालातों में दम घुटता है मेरा, और, ग़र तुझे यही मंज़ूर हुआ तो वही सही, अब इस रज़ा को भी इस्तेक़बाल मेरा -2...!! ...#बेज़ुबा_इश्क़ ©tanuj sharma #बदनाम_मोहब्बत🖤🖤 #Hope