सदगति, ईदगाह, ठाकुर का कुआं, गोदान, गबन,निर्मला, शतरंज के खिलाड़ी, सेवासदन, आदि का कालजयी रचनाकार, कलम का मुंशी जिसकी रचनाओं में अपने ही लोक की संवेदना , जीवन और जीवन को बांधे अंधविश्वास ,विषमता, छुआछूत का मार्मिक वर्णन है ,जो आपको एक द्वंद से जोड़ता , स्वमं को मूल्यांकित करने को मजबूर करता है ,किसी स्वप्न लोक का ताना -बाना नहीं बुनता ,बुनकरों के बीच जीवन जीने वाला यह साहित्यकार जीवन के उलझे ताने-बाने का मर्म लिखता था । ऐसे सच्चे अभावों के साधक मुंशी प्रेमचंद जी को जयंती पर नमन,,,, @किसलय कृष्णवंशी"निश्छल"