आहिस्ता आहिस्ता, तेरी दस्तक हुई जिंदगी में, दिल को पता ही नहीं चला, तू कब जिंदगी में खास हो गई, मेरे किरदार को पता ही नहीं चला, तेरी जरूरियात कब आदत बन गई, मेरी साँसों को पता ही नहीं चला। धीरे धीरे से चले हम लेकिन, आखिर में तो एक ही बने हम, तेरा हल्का सा इशारा समझ कर, तुझे ही चुन लिया मैंने अपने जिंदगी। दो दिलों का जहां बनाकर, साथ में ही जिए हम, अपने अरमानों को पूरा करने, पूरी शिद्दत से जुटे हम, तू और मैं शब्दों का अस्तित्व, मिटा के दोनों बन गए हम। आहिस्ता आहिस्ता, चल रही है हसीन जिंदगी, एक दूसरे की खुशी को अपनी खुशी, मान कर जी रहे हैं हम दो राही, पहली मुलाकात से लेकर यहाँ तक का सफ़र, आहिस्ता आहिस्ता कब कट गया दिल को पता ही नहीं चला। -Nitesh Prajapati — % & ♥️ Challenge-826 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।